प्रश्न 1. लेखक अमरकांत की कौन-सी कहानी भारतीय कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत हुई ?
उत्तर : डिप्टी कलक्टरी।
प्रश्न 2. ‘वानर सेना’ नामक उपन्यास किनकी रचना है ?
उत्तर : अमरकांत ।
प्रश्न 3. ‘वानर सेना’ किस प्रकार की रचना है ?
उत्तर : एक बाल उपन्यास |
प्रश्न 4. बहादुर के पिताजी की मृत्यु कैसे हुई थी ?
उत्तर : युद्ध में मारे जाने के कारण।
प्रश्न 5. बहादुर का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर : दिलबहादुर ।
प्रश्न 6. बहादुर अपनी माँ को क्यों नहीं याद करना चाहता था ?
उत्तर : क्योंकि उसकी माँ उसे मारती थी।
प्रश्न 7. किशोर बहादुर के साथ कैसा व्यवहार करता था ?
उत्तर : बुरा व्यवहार।
प्रश्न 8 बहादुर अपनी मालकिन से किस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा रखता था ?
उत्तर : अपनत्व भरे व्यवहार की।
प्रश्न 9. बाद में बहादुर से अधिक गलतियाँ क्यों होने लगी ?
उत्तर : क्योंकि सब उसे बात-बात पर डाँटते थे।
प्रश्न 10. बहादुर के भाग जाने पर लेखक को कैसा लग रहा था ?
उत्तर : उन्हें लग रहा था कि उनके मारने के कारण ही बहादुर भाग गया।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो ?
उत्तर : लेखक मानते थे कि नौकर रखना वड़ी शान की बात है। अब लेखक के घर भी एक नौकर आ गया था। ये नौकर को देख-परख रहे थे। उनकी पत्नी नौकर को देखकर बहुत खुश थी, वह कभी नौकर को देखती तो कभी लेखक को और कभी अपने भाई को नौकर रखने में भी कुछ खास तरह के गुण का होना आवश्यक है। इसलिए लेखक को लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो।
प्रश्न 2. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।
उत्तर : एक लड़का था जिसका नाम दिल बहादुर था। उसकी उम्र लगभग बारह-तेरह वर्ष की थी। उसका शरीर स्वस्थ, रंग गोरा और मुँह चपटा था वह सफेद नेकर, आधी बाँह की ही सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहने हुए था। उसके गले में स्काउटों की तरह एक रूमाल बँधा हुआ था।
प्रश्न 3. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था ?
उत्तर: लेखक के जितने भाई और रिश्तेदार थे सभी के यहाँ नौकर था जब वे वहन की शादी में घर गए तो देखा कि उनकी दोनों भाभियाँ चारपाइयाँ तोड़ती रहती हैं और नीकर काम करते रहते हैं। उनकी पत्नी बहुत काम करती थी। इसलिए लेखक जल-भुन गए और उन्हें लगा कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया है।
प्रश्न 4. साले साहब से लेखक को कौन-सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा ?
उत्तर : साले साहब से लेखक को बहादुर के बारे में वह किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा जिसके कारण उन्हें एक नौकर के रूप में बहादुर मिला। वहादुर का गाँव नेपाल और बिहार की सीमा पर था। उसके पिता युद्ध में मारे गए थे जिससे कि उसके घर का भरण-पोषण का भार उसकी माँ पर आ गया था। बहादुर कुछ काम नहीं करता था, उसकी माँ चाहती थी कि वह कुछ काम करे। इसलिए वह अक्सर वहादुर को मारती-पीटती थी। एक बार वह भैंस को चराने जाता है और भैंस को बहुत पीटता है क्योंकि उसकी माँ भैंस को बहुत प्यार करती थी। भैंस घर आ गयी। उसकी माँ समझ गई कि यहादुर ने उसे पीटा है। उसने बहादुर को बहुत पीटा। इसलिए उसने अपना घर छोड़ दिया। शहर जाने के लिए स्टेशन पर आया और लेखक के साले साहब ने उसे लेखक के घर पहुँचा दिया।
प्रश्न 5. बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था ?
उत्तर बहादुर की माँ अक्सर उसे पीटती थी जिससे तंग आकर बहादुर अपने घर से भाग गया था। बहादुर घर का बड़ा लड़का था। माँ चाहती थी कि वह कुछ काम करे, वह नहीं करता था इसलिए वह मार खाता था।
प्रश्न 6. बहादुर के नाम से ‘दिल’ शब्द क्यों उड़ा दिया गया ? विचार करें।
उत्तर बहादुर का पूरा नाम दिलबहादुर था। उसके नाम से ‘दिल’ उड़ा दिया गया क्योंकि पुकारने के लिए छोटा नाम ही उचित समझा गया होगा। दूसरी बात यह है कि वह नौकर ही बनेगा, उसके दिल को समझने की जरूरत नहीं थी। लोगों को बस उसकी बहादुरी से काम था इसलिए भी उसके नाम से दिल शब्द उड़ा दिया होगा।
प्रश्न 7 काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गए बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है ? चित्र का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : काम धाम के बाद रात को अपने विस्तर पर गए बहादुर का चित्रण लेखक एक मासूम बच्चा तथा उस व्यक्ति के रूप में करते हैं जिसका साथी बिछुड़ गया हो। जब वह बिस्तर पर जाता तो अपनी जेब से निकालकर टोपी पहनता और आइने में मुँह देखता। फिर कुछ गोलियाँ, पुराने ताश की एक गडी, कुछ खूबसूरत पत्थर के टुकड़े, ब्लेड, कागज की नावें आदि अपने बिस्तर पर सजाता। उस समय उसके अन्दर का बच्चा, जो दिनभर दूसरों के काम करता था, खेलना चाहता था। फिर वह कुछ गाने लगता था। उसकी आवाज में जो दर्द था उसे लेखक महसूस करते थे पर समझ नहीं पाते थे, क्योंकि लेखक उस भाषा से अनजान थे। परन्तु उसकी दर्द भरी आवाज से लगता कि शायद वह अपने बिछुड़े साथी को याद कर रहा है ।
प्रश्न 8.बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा ?
उत्तर: बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर अच्छा प्रभाव पड़ा। घर का वातावरण उत्साहपूर्ण हो गया। उनकी पत्नी हमेशा शान बघारते रहती। उनकी तबीयत भी ठीक हो गई। लेखक का बड़ा बेटा अलग अपना काम करवाता। कपड़े धमकने लगे, घर साफ-सुथड़े रहने लगे। एक पेन्सिल भी गिर जाता तो लेखक के बच्चे बहादुर को आवाज़ लगाते “बहादुर पेन्सिल हटाना तो”। स्वयं लेखक को भी मुहल्ले के लोग और भी तुच्छ लगने लगे। ये छोटे-छोटे बच्चों की छोटी गलती पर भी डॉट लगा देते थे।
प्रश्न 9.किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?
उत्तर: घर के सभी लोगों का व्यवहार बहादुर के प्रति खराब हो गया था। उसे किसी से भी प्यार नहीं मिलता था। सभी उसे मारने-पीटने लगा था। अंत में लेखक ने भी उसे पीटा। दूसरे दिन उससे फिर गलती हो गई थी, उसके हाथ से सिलबट्टा गिरकर टूट गया था। इसलिए बहादुर ने उस दिन लेखक का घर छोड़ दिया।
प्रश्न 10. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है ?
उत्तर : लेखक के रिश्तेदारों ने बहादुर पर ही चोरी का आरोप इसलिए लगाया क्योंकि वह घर का नौकर था। उन्होंने बच्चों को पैसा नहीं देने के लिए चोरी का बहाना बनाया था। अगर बच्चों को चोर बनाते तो लेखक उन्हें बर्दाश्त नहीं करते और ये महानुभाव पकड़े जाते नौकर गरीब होता है, इस कारण उसे नीच कहकर उसपर चोरी का आरोप लगाया जाता है।
बहादुर पर इस आरोप का बहुत बुरा असर पड़ता है। सभी उसे दुरदुराने लगे। इसलिए वह उदास रहने लगा और काम में लापरवाही बरतने लगा।
प्रश्न 11 बहादुर के घने जाने पर सबको पता होता है?
उत्तर : बहादुर ने सभी को सुख दिया था लेकिन बहादुर को किसी ने प्यार और अल नहीं दिया। सबने उसके साथ बुरा व्यवहार किया। उसे चोर भी बनाया जबकि ये जानते थे कि बहादुर चोर नहीं है। सबने पीटा भी, यहाँ तक कि घर मालिक ने भी। जब वह गया तो कुछ लेकर नहीं गया, अपना पगार भी नहीं। अपनी छोटी मोटी जरूरत की चीज को भी उसने छोड़ दिया। इसलिए उसके जाने के बाद सबको पछतावा होता है।
प्रश्न 12. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ ?
उत्तर निर्मला को बहादुर के चले जाने पर इसलिए अफसोस हुआ कि वह उनके बहुत सुख देता था। वह बहादुर के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर सकी। इसलिए वह बिना कुछ लिये ही पर से चला गया। वह जानती थी कि उ रिश्तेदार झूठे हैं पर उनके साथ उसने भी बहादुर को चोर कहा, जबकि वह अपना सामान भी नहीं ले गया।
प्रश्न 13. कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से ‘बहादुर’ कहानी पर विचार करें।
उत्तर : जब लेखक के घर ‘बहादुर’ नाम का नौकर आता है तो अपने आपको बहुत बड़ा और मुहल्ले के लोगों को बहुत सुच्छ समझने लगे और मुहल्ले के छोटे-छोटे बच्चों को यों ही डॉट देते थे। लेखक की पत्नी भी अपने आप श्रेष्ठ समझने लगी। यह लोगों को सुनाकर कहती कि में दूसरे लोगों की तरह नहीं हूँ वह नौकर को अच्छे से रखती हैं। उनके बच्चों से छोटे-छोटे काम भी नहीं होते थे। उनलोगों ने बहुत दम्म भरा लेकिन कहानी के अंत तक तो किसी ने बहादुर के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इस तरह यह कहानी छोटा ह बड़ी बात कहती है।
प्रश्न: 14. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। लेखक ने इसका शीर्षक ‘नीकर’ क्यों नहीं रखा ?
उत्तर : कहानी का शीर्षक है ‘बहादुर’। सचमुच वह बहादुर नाम के नौकर पर केन्द्रित है। परन्तु वह नौकर जब लेखक के घर आता है तो बहादुरी के साथ ही अपने घर से बगावत करके उनके यहाँ रहता है, सभी को खुशी देता है, अपने ऊपर अत्याचार सहता है एक बहादुर की और अंत में जब वह जाता है तब भी किसी से कुछ नहीं लेता है क्योंकि यह सम्मान, प्यार और अपनत्व चाहता था जो उसे नहीं मिला। इस तरह कहानी का शीर्षक ‘बहादुर’ सार्थक है।
लेखक ने इस कहानी का शीर्षक ‘नौकर’ इसलिए नहीं रखा क्योंकि उनके अन्तर्मन में बहादुर के प्रति प्यार था, भले ही वे उसे नहीं दे पाए। उन्होंने इस शब्द के द्वारा उसे सम्मान देने की कोशिश की है।
दीर्घ उत्तरीय
प्रश्न 1. बहादुर, किशोर, निर्मला और कथावाचक का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर : बहादुर- बहादुर 12-13 वर्ष का लड़का है, जो प्यार का भूखा है। प्यार की कमी के कारण ही वह अपने घर से भाग जाता है और खेलने के उम्र में काम करने लगता है। जिस घर में उसे प्यार नहीं मिला उसकी भलाई उसमें नहीं रहने के बावजूद भी करना चाहता है। वह अपनी माँ को पैसा भेजना चाहता है। वह जब काम करता है तो उस घर में जब कभी कुछ पैसा मिलता तो वह उसे अपनी मालकिन को दे देता। वह ईमानदार है। लेकिन जब उसे प्यार नहीं मिलता है तो उससे गलतियाँ होने लगती हैं और जब उसे चोर बनाया जाता है, गृहस्वामी उसे मारते हैं तो वह बिना कुछ लिए ही घर से भाग जाता है.. और सब पर अपनी मेहनत का कर्ज लाद जाता है।
किशोर–किशोर बड़ा लड़का है-कॉलेज जानेवाला। वह भी अपनी शान के लिए बहादुर से काम करवाता है। जो काम वह खुद कर सकता है बहादुर से ही करवाता है। उससे कोई भूल हो जाने पर उसे पीटता भी है। वह बहादुर के साथ अमानवीय व्यवहार करता है। उसे बहादुर में अपना छोटा भाई दिखाई नहीं देता है। लेकिन अंत में जब वह भाग जाता है तो उसे खोजने भी जाता है। अपनी गलती का उसे अफसोस होता है। वह कहता है कि अगर वह मिल जाता तो माफी माँग लेता, उसे कभी जाने नहीं देता।
निर्मला–निर्मला लेखक की पत्नी है। वह भी शानो-शौकत में विश्वास करने वाली एक महिला है। जब उसके घर नौकर आता है तो शान बघारने में कमी नहीं करती है। वह पड़ोसियों को सुनाकर कहती है कि वह नौकर को बहुत प्यार करती है। उसके पति भी कहते हैं कि नौकर पर खर्च करने में उन्हें अफसोस नहीं है। वह बहादुर को प्यार करती है परन्तु दूसरे के बहकावे में आकर उसे अपने हाथों से बनी रोटी से महरूम कर देती है। वह रिश्तेदारों के झूठ से प्रभावित हो जाती है और बहादुर को चोर भी कहती है, जबकि यह जानती है कि बहादुर चोर नहीं है। अंत में उसके चले जाने पर सत्य बता देती है और इसके लिए तड़पती है।
कथावाचक–कथावाचक एक अच्छे आदमी हैं, परन्तु इस संसार के दुर्गुण से अछूता नहीं हैं। झूठे शान की चाह इन्हें भी है। जब अपनी भाभियों को नौकर का सुख भोगती देखते हैं तो ये भी अपनी पत्नी को नौकर लाने का वचन दे देते हैं। बच्चे से प्यार करते हैं तभी तो अपने बेटे की गलतियों को देखकर भी चुप रहते हैं। बहादुर अच्छा लड़का है यह जानते हुए भी उसे पीट देते हैं क्योंकि वह नौकर है। परन्तु उसके चले जाने के बाद इन्हें भी अफसोस होता है कि शायद वे नहीं मारते तो वहादुर नहीं जाता। इनके अन्दर एक इन्सान रहता है जो अंत में अपनी गलती मानने को इन्हें बाध्य करता है।
प्रश्न 2. ‘बहादुर’ शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
‘बहादुर’ शीर्षक कहानी एक निम्न मध्यवर्ग के परिवार की कहानी है जो अपनी झूठी शान के लिए नीकर की लालसा रखता है। कहानीकार परिवार का मुखिया है। ये अपने गाँव जाते हैं और वहाँ अपनी भाभियों को नौकर का सुख प्राप्त करते देखते हैं। इसे देख इनकी भी यह इच्छा हो जाती है कि वे अपनी पत्नी को नौकर का सुख दें। किसी प्रकार उनके साले साहब एक नौकर लाकर उन्हें देते हैं जो अपने घर से माँ का प्यार नहीं मिलने के कारण भागा हुआ है।
लेखक के घर में शुरुआत में उसकी आवभगत होती है। लेखक की पत्नी उसे प्यार देती है। वह भी अपनी मेहनत से सबको सुख देता है। घर के सभी सदस्यों के मुँह पर ‘बहादुर’ का ही नाम रहता है क्योंकि वह सबको सुख देनेवाला मशीन बना रहता है। घर पहले से साफ-सुथरा हो जाता है, सभी के कपड़े चमकने लगते हैं, गृहस्वामिनी को तो वह दवा भी हाथ में ही लाकर देता है जिससे कि उसकी तबीयत ठीक रहने लगती है। घर का बड़ा लड़का किशोर तो मानो ‘बाबू साहब’ ही हो गया था। अपनी साईकिल को दोनों समय साफ करवाता, जूते पॉलिश करवाता और छोटी-छोटी गलती पर उसकी पिटाई भी कर देता। बेटे की गलती पर भी माँ-पिता उसे कुछ नहीं कहते, उल्टे बहादुर को ही कहते कि ठीक से काम करो तो तुम्हें कोई कुछ नहीं करेगा, क्योंकि वह नौकर जो था ।
एक दिन की बात है, उनके घर एक रिश्तेदार आते हैं जो यच्चों को मिठाई और पैसा नहीं देने का एक प्रपंच रचते हैं और बहादुर पर चोरी का आरोप लगा देते हैं। यह जानते हुए कि बहादुर चोर नहीं बल्कि उनके रिश्तेदार ही झूठे हैं बहादुर को पीटा जाता है और सभी दुरदुराने लगते हैं। जो मालकिन अपने पड़ोसियों के सामने स्वांग रचती है कि वह नौकर को बहुत प्यार से रखती है, वहीं किसी के कहने से अपने हाथ के बने खाना से भी बहादुर को महरूम कर देती है।
बेचारा स्वाभिमानी बहादुर सबकुछ सहता है लेकिन उदासी के कारण उससे गलतियाँ बहुत होने लगती हैं। एक दिन गृहस्वामी भी उसे पीट देते हैं। उसके मन में यह भावना आ जाती है कि अब उसे प्यार करनेवाला इस घर में कोई नहीं है। दूसरे ही दिन वह घर के सारे काम खुशी से करता हुआ भाग जाता है। वह घर से कुछ नहीं ले जाता है, अपना सामान भी छोड़ जाता है और घर पर अपनी मेहनत का कर्ज चढ़ा जाता है। घर के सारे लोग उदास हो जाते हैं। घर रंगहीन हो जाता है। घर के सभी सदस्यों को अपनी-अपनी गलती का एहसास होता है और सभी उससे माफी माँगने की इच्छा करने लगते हैं। परन्तु वह मासूम, स्वाभिमानी, प्यार का भूखा पंछी उस घर को सदा के लिए त्याग जाता है।