तिरंगा फट जाए तो क्या करें, पुराना होने पर कैसे निपटाएं, कागज के झंडे का क्या है नियम?
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी बनाने के लिए नहीं किया जाए और न ही इसे कशीदाकारी या कुशन, रूमाल, नैपकिन या किसी ड्रेस सामग्री पर मुद्रित किया जाए.
हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा हमारे देश की आन-बान-शान है. जब भी यह फहराया जाता है, हवा में लहराया जाता है, हमारे अंदर देशभक्ति की ऊर्जा का संचार हो जाता है. आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान इन दिनों देश में हर घर तिरंगा अभियान चल रहा है. ऐसे में राष्ट्रीय ध्वज को लेकर बने नियमों को जानना भी जरूरी है और उनका पालन करना भी उतना ही जरूरी है. तिरंगा संपूर्ण राष्ट्र के लिए गौरव का प्रतीक है. देश के लोग तिरंगे के प्रति सम्मान और श्रद्धा रखते हैं. ऐसे में अगर किसी वजह से राष्ट्रीय ध्वज फट गया हो या किसी भी तरह से खंडित हो गया हो तो उसके निपटान को लेकर भी कुछ नियम बने हैं.
भारतीय ध्वज संहिता के खंड 2.2 के अनुसार, यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो या बदरंग हो जाए या फिर कट फट जाए तो उसे अलग ले जाकर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए. यानी एक तरह से जलाकर या फिर किसी ऐसे तरीके से, जिसमें कि राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे.
कागज का हो तिरंगा तो…
राष्ट्रीय ध्वज यदि कागज का बना हो, तो इसके निपटान को लेकर भी नियम है. आम तौर पर बच्चे और आम लोग कागज का झंडा भी फहराते हैं. इन ध्वजों को भी कभी जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए. राष्ट्र ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इन्हें अलग एक तरफ ले जाकर त्याग देना चाहिए. आप ऐसे ध्वज को बहते पानी में भी समर्पित कर सकते हैं.
राष्ट्रध्वज को लेकर इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
राष्ट्रीय ध्वज उल्टा करके प्रदर्शित नहीं किया जाएगा यानि, केसरिया पट्टी को नीचे की पट्टी के रूप में नहीं रखना चाहिए.
क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं किया जाएगा.
राष्ट्रीय ध्वज किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देते समय नीचे झुकाना नहीं चाहिए.
किसी भी अन्य ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या उसके अगल-बगल में नहीं रखा जाएगा और मस्तूल के ऊपर जहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है किसी तरह की फूल माला या प्रतीक के साथ कोई वस्तु नहीं रखी जाएगी.
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी उत्सव, थाली, ध्वज-पट्ट या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए नहीं किया जाएगा.
राष्ट्रीय ध्वज पानी में जमीन या फर्श या पगडंडी को नहीं छूना चाहिए.
राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी ऐसे तरीके से प्रदर्शित या बांधा नहीं जाएगा जिससे उसे कोई क्षति होने की संभावना हो.
राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य ध्वज या झंडे के साथ एक ही मास्टहेड (फ्लैग पोल का शीर्ष भाग) से एक साथ नहीं फहराया जाना चाहिए.
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता की मेज ढकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और न ही उसे वक्ता के मंच पर लपेटा जाना चाहिए.… ताकि न हो राष्ट्रध्वज का अपमान
गृह मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के रोकथाम के लिए भी नियम बताए गए हैं. जिसके तहत राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 के अनुसार, इन बातों का ध्यान किया जाना चाहिए. और भी इसी तरह से सबसे पहले अपडेट्स के लिए टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े।
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